फरीदाबाद। नगर निगम प्रशासन ने अवैध आरओ प्लांट और बोरिंग के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी है। नगर निगम ने कई आरओ प्लांट को बंद करवा दिया है। इसलिए निजी टैंकर वालों ने हड़ताल कर दी है। इससे शहर की कई कॉलोनियों में पेयजल संकट गहरा गया है।
Water thieves strike in Faridabad, water crisis deepens
Faridabad. The municipal administration has started strict against illegal RO plants and borings. The Municipal Corporation has closed many RO plants. Therefore, private tankers have gone on strike. This has deepened the drinking water crisis in many colonies of the city. These illegal RO plants and boring pose a serious threat to the city’s natural wealth, ecology and geostatistics.
अवैध आरओ प्लांट और बोरिंग इस शहर की प्राकृतिक संपदा, पारिस्थितिकी और भू-स्थैतिकी के लिए गंभीर संकट हैं।
ये संयंत्र भूजल का अंधाधुंध दोहन करके आने वाली पीढ़ियों को प्यासा मारने का सामान जुटा रहे हैं।
इस औद्योगिक नगरी में भीषण नगरीकरण के कारण जनसंख्या का घनत्व बढ़ गया है, जिसका प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इस जनपद की भूजल राशि वर्तमान मांग और पूर्ति के सिद्धांत पर निष्फल होने लगी है।
जिले में कई स्थानों पर भूजल 300-400 फुट तक के नीचे चला गया है।
यही कारण है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने इस जिले को डार्क जोन में सम्मिलित कर लिया है।
इसलिए सामाजिक कार्यकर्ताओं के दबाव में अवैध आरओ प्लांट और बोरिंग के खिलाफ तीव्र ध्वनि से आंदोलन हो रहे हैं।
परिणामस्वरूप नगर निगम सक्रिय हुआ और अवैध आरओ प्लांट और बोरिंग को बंद करवाया जा रहा है।
नगर निगम क्यों सफल नहीं होगा
नगर निगम की अद्यतन कार्रवाई के भी दुष्परिणाम सामने आने को हैं।
वस्तुतः नगर की जल मांग और पूर्ति में भारी अंतर है।
नगर निगम अरबों रुपए की जेएनयूआरएम आदि लागू करके भी पूरे शहर को एक दशक में भी 130 लीटर प्रति व्यक्ति के मानक की पूर्ति नहीं कर पा रहा है।
मांग-पूर्ति के भारी अंतर का लाभ जल चोर उठा रहे हैं।
इन जल चोरों को बड़े स्तर पर नेताओं और अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है।
कई तो पूर्व मंत्री, विधायक और पार्षद ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष इस अवैध कारोबार से जुड़े हैं।
शहर में अवैध टैंकरों की पूरी फौज ने डेरा डाल रखा है।
यही कारण है कि जब तक नगर निगम स्वयं अपने संसाधनों से पर्याप्त जलापूर्ति करवा पाने में सक्षम नहीं होगा, तब तक इन अवैध निजी टैंकरों की आपूर्ति, विना संदेह अवैध हो, लेकिन प्रासंगिक रहेगी।
निजी टैंकरों की उपादेयता तब तक बनी रहेगी, जब तक नगर निगम की आपूर्ति के अभाव में लोगों की इन पर निर्भरता बनी रहेगी।
चोरों का इतना दुस्साहस
यही कारण है कि नगर निगम ने आरओ प्लांट के अवैध कारोबार पर थोड़ा दबाव बढ़ाया, तो निजी टैंकरों ने हड़ताल कर दी है, क्योंकि आरओ प्लांट के मुख्य क्रेता ये निजी टैंकर ही हैं।
ये चोरों की हड़ताल है।
यानि जल चोर कह रहे हैं कि हमें जल चोरी करने दो नहीं, तो हम हड़ताल करेंगे।
जल चोर और रॉबिन हुड में साम्य
प्रशासन के अधिकारियों को इन जल चोरों का चरित्र समझना होगा।
ये जल चोर यहां के लोगों के लिए रॉबिन हुड की तरह हैं।
रॉबिन हुड अमीरों को लूटकर गरीबों में सरमाया तकसीम करते हैं।
ये जल चोर लोगों की जल आवश्यकता का निदान करते हैं, चाहे उनकी शैली अवैध ही क्यों न हो।
पैसे लेकर और चाहे ज्यादा दाम लेकर कम-स-काम लोगों की अत्यंत आवश्यकता में तृष्णा तो मिटाते हैं।
इन जल चोरों का निर्मूलन तब तक असंभव लगता है, जब तक जल वंचित लोगों का उन्हें समर्थन मिलता रहेगा।
जल चोरों की मुख्य शक्तियां नेताओं एवं अधिकारियों का समर्थन और नगर निगम की जलापूर्ति में अपंगता है।
जब तक नगर निगम जल चोरों के इन नाजायज पोशीदा रिश्तों, शक्ति केंद्रों और मर्म स्थलों पर वज्र प्रहार नहीं करेगा, तब तक ये जल चोर प्रशासन की छाती पर रॉबिन हुड की तरह दाल दलते रहेंगे।
हड़ताल का कुप्रभाव
निजी टैंकरों की हड़ताल से यह नकारात्मक प्रभाव पड़ा है कि 20 लीटर की पानी की बोतल कल तक 10 रुपए में बिक रही थी, उसके आज 20 से 25 रुपए तक वसूले जा रहे हैं।
एनआईटी पांच निवासी वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र सिंह राजपूत का तो कहना है कि नगर निगम की आपूर्ति का पानी तो शहर में कहीं पीने लायक नहीं है। स्वयं नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी अपने पानी को मुंह तक नहीं लगाते हैं और आरओ का पानी पीते हैं।
उन्होंने बताया कि वे एक बोतल पानी 25 और 30 रुपए में खरीद रहे हैं।